कोरोना के संकट ने उद्यमियों को एहसास दिलाया है कि उन्हें अपने व्यवसाय के प्रबंधन और विकास के तरीके में बदलाव करना ही पड़ेगा. इस लॉकडाउन के बाद व्यवसाय के संचालन के कुछ नये तरीके और संसाधन के नए तरीके अपनाने पड़ेंगे।
कोरोना के प्रकोप ने सारी दुनिया को बदलकर रख दिया है. व्यापार में बदलाव और जीवन जीने, काम करने और निर्माण के नए तरीकों को अपनाना होगा. ऐसी कुछ चीज़ें हैं जो मौजूदा हालत के सामान्य होने पर व्यवसायों को बदल कर रख देंगी।
नये बिज़नेस मॉडल की संभावना
उद्यमी अपने बिज़नेस मॉडल और अन्य कार्यों को बढ़ाने का प्रयास करेंगे जिससे इस महामारी के दौरान हुए नुकसान की भरपाई हो सके। व्यापार की अन्य संभावनाओं को टटोलने का सबसे पहला कदम होगा। व्यापार के मुख्य तत्वों के लिए एक नवीनतम फ्रेमवर्क को तैयार करना होगा। कस्टमर रिलेशनशिप, संसाधन प्रबंधन, राजस्व, लागत आदि, सभी कार्यों को बारीकी से देखा जाएगा और उस के अनुसार उनमें परिवर्तन लाया जायेगा। महत्वपूर्ण और राजस्व उत्पन्न करने वाले कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिससे व्यवसाय को सुचारू रूप से चलाया जा सके। अच्छी वितरण के विकल्प की संभावना से ग्राहकों की संतुष्टि बढ़ाने का प्रयास किया जा सकता है।
नई टेक्नोलोजी अपनाने से आमदनी में बढ़ोतरी
टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ऑटोमेशन से प्रत्येक कार्य की वृद्धि बढ़ती है। जिससे हमारा व्यवसाय में कम लागत से उत्पादन बढ़ सके। एआइ और ऑटोमेशन में काफ़ी सुधार हो रहें है। जिसका लाभ हमें अपने उत्पाद बढ़ाने में मदद मिलेगी। AI की मदद से बिजनेस में ऑटोमेशन, कस्टमर एंगेजमेंट और डेटा एनालिसिस से लेकर कई पहलुओं में हम आवश्यकता के अनुसार सुधार कर सकते है। एआई की मदद से डेटा को इकट्ठा करने में और इससे महत्वपूर्ण जानकारी भी निकाल पाएंगे। जिससे हम ग्राहक की ज़रूरतों का अनुमान लगाना अधिक सटीक हो जाएगा। ग्राहक जो भी खरीदेगा उसके पैटर्न, गुणवत्ता की पहचान करना और डिजिटल विज्ञापनों के माध्यम से व्यक्तिगत लक्ष्यीकरण को एआई का उपयोग कर हम नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकते है।
नए बाजारों से संबंधित निर्णय
कोरोना पेंडेमीक की वजह से व्यवसायों से जुड़े जोखिमों से बचने के लिए कई बीमा कवर भी ज़रूरी बनेगा। कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा में कोरोना की बीमारी और मृत्यु से संबंधित लागत भी शामिल होगी। अधिक लाभ, अधिक पहुंच और अधिक प्रभाव की संभावना के लिए पर्याप्त नये रास्ते तराशने होंगे। नए बाजारों से संबंधित निर्णय तेजी से लेना पड़ेंगे। बाजारों को प्राथमिकता देना और चयन करना तथा आंतरिक क्षमताओं का आकलन करने से बिक्री बढ़ने का लाभ उठाया जा सकता है। उसके लिए एक आसान तरीका है अपने बिज़नेस को ऑनलाइन करना। डिजिटल होने से नए बाजारों में तेजी से प्रवेश करने में मदद मिलेगी। जब कोई व्यवसाय कोरोना संकट से निकलने की कोशिश करता है, तो आपके बिज़नेस के आईडिया और मॉडल से दोबारा अपनी नीव मज़बूत होती है। नवीनीकरण और डिजिटल होने से आपको अधिक प्रतिस्पर्धी बनने और अपने ब्रांड के मूल्य का निर्माण करने में मदद होगी। कोरोना संकट के बाद सभी व्यवसाय पुनः अपने राजस्व बढ़ाने की कोशिश करेंगे। कई क्षेत्रों में ये “करो या मरो” की स्थिति भी बन चुकी है। ऐसे वक़्त में डिजिटल होना एक फ़ायदे का सौदा बन सकता है।
आफ़त को अवसर में तब्दील करने की कला
कोरोना महामारी से अर्थव्यवस्था के गिरने की भविष्यवाणियां भी की गईं। लेकिन, इस महामारी से विश्व अर्थव्यवस्था पर असर और उसमें सुधार के बीच फ़र्क़ साफ़ दिखता है। कोरोना महामारी ने बहुत से देशों के लिए संकट पैदा किया था, लेकिन साथ-साथ उन्हें नए अवसर भी प्राप्त हुए। इनका लाभ उठाकर वो ख़ुद को उबारने और अपने देशका संसाधनों का बेहतर पुनःर्निर्माण कर सकते हैं। आजकल तमाम देशों में इस बात की काफ़ी चर्चा है कि कोरोना महामारी ने हमें एक बेहतर भविष्य के निर्माण के अवसर भी प्रदान किए हैं।
कोरोना काल में ऑनलाइन शॉपिंग
कोरोना काल में ऑनलाइन शॉपिंग में बड़ा उछाल देखा गया है। इस दौरान ग्रॉसरी, किताबें, सौन्दर्य उत्पाद की सप्लाई, बच्चों के सामान जैसी चीजों की ऑनलाइन खरीदारी ज़्यादातर हुई है। बिना किसी संपर्क के तेज़ रफ्तार से अपने दरवाजे़ पर सामान मंगवाने के लिए लोग धड़ल्ले से ऑनलाइन शॉपिंग का सहारा ले रहे हैं. इनमें ज़रूरी और गै़र-ज़रूरी दोनों तरह के सामान शामिल हैं। लोकडाउन के चलते हड़बड़ाहट में होने वाली खरीदारी और जमाखोरी जैसी चीजों के साथ कोरोना महामारी के तनाव ने हमारी खरीदारी की कई आदतों पर बड़ा असर डाला है। हालांकि, ऑनलाइन शॉपिंग सालों से हो रही थी, लेकिन वास्तव में यह मुख्यधारा में आनेका श्रेय कोरोना महामारी को मिल सकता है। एमेज़न को 1990 के दशकसे हम लोग परिचित है, अमरीका में 2010 में ऑनलाइन शॉपिंग की कुल रिटेल सेल्स में हिस्सेदारी 6 फीसदी से थोड़ी ज़्यादा हुई है। और अब? इंगलेंड में सेल्स के कुल फ़ीसदी हिसाब से देखें तो ऑनलाइन बिक्री 2006 में 3 फ़ीसदी थी, जो कि 2020 में बढ़कर 19 फ़ीसदी पर पहुंच गई है. महामारी के चलते अप्रैल 2020 में तो यह बढ़कर 30 फ़ीसदी पर पहुंच गई.
मई 2020 में अमरीका में नॉन-स्टोर रिटेलर्स की बिक्री बढ़कर 31 फीसदी हो गई। विकासशील देशों में यह एक क्रांति की शक्ल ले चुकी है। विकासशील देशों में 2022 तक करीब तीन अरब इंटरनेट यूज़र होंगे। बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के आंकड़े के मुताबिक, यह संख्या विकसित देशों के मुकाबले तीन गुना ज़्यादा होगी चीन में रिटेल में ऑनलाइन सेल्स की हिस्सेदारी पहले से ही 20 फ़ीसदी है। यह आंकड़ा अमरीका, इंगलेंड, जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों से बड़ा है। डिजिटल रूप से प्रभावी खर्च – जिसमें ऐसी खरीदारी को भी फायदा मिलता है। जहां लोग ऑनलाइन चीजें सर्च करते हैं और इन्हें ऑफलाइन खरीदते हैं। इसमें मार्केट में 4 लाख करोड़ डॉलर के करीब बिज़नेस पहुंचने वाला है।
कोविड़ ने बदली हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी
कोविड-19 से पहले हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में शॉपिंग के लिए इंटरनेट पर इतनी निर्भरता शायद पहले कभी नहीं थी। कुछ दशक पहले ऑनलाइन शॉपिंग एक बड़ी चीज़ मानी जाती थी। उस वक्त इंटरनेट तक पहुंच होना ही एक बड़ी चीज़ थी। आखिर ऑनलाइन शॉपिंग हमारी ज़िंदगी का हिस्सा कैसे बन गई और महामारी के ख़त्म होने के बाद में चीजे़ं कैसी शक्ल लेंगी? ऑनलाइन शॉपिंग की शुरुआत सामाजिक दूरी और संक्रमण के डर से पैदा हुई ज़रूरत के चलते बढ़ी है, लेकिन हो सकता है कि महामारी के ख़त्म होने के बाद भी यह ट्रेंड जारी रहने वाला है।